विन्ध्यस्य दक्षिणे गंगा गौतमी सा निगद्यते उत्त्रे ...
विन्ध्यस्य दक्षिणे गंगा गौतमी सा निगद्यते उत्त्रे सापि विन्ध्यस्य भगीरत्यभिधीयते।एव मुक्त्वाद गता गंगा कलया वन संस्थिता गंगेश्वेरं तु यः पश्येत स्नात्वा शिप्राम्भासि प्रिये।।इस श्लोक का अर्थ बताने की...
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अमृत की ये बूंदें चार जगह गिरी थी:- गंगा नदी (प्रयाग, हरिद्वार), गोदावरी नदी (नासिक), क्षिप्रा नदी (उज्जैन)। सभी नदियों का संबंध गंगा से है। गोदावरी को गोमती गंगा के नाम से पुकारते हैं। क्षिप्रा नदी को...
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